‘और सरसों की न पूछो’- इस उक्ति में बात को कहने का एक खास अंदाज है। हम इस प्रकार की शैली का प्रयोग कब और क्यों करते हैं?

किसी बस्तु की बात करते हुए उसकी विशेषता बताने के लिए चुटिल एवं प्रभावपूर्ण तरीके से अपनी बात को कहने के यह एक तरीका है| जैसे- सर्दियों में चाय के महत्त्व के बारे में बात करते हुए हम कहते हैं कि “और चाय की न पूंछो”|


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